उफ्फ! ये प्यार (भाग ०१)
"तुम.........तुम तो कहते थे कि तुम मुझसे प्यार करते हो??? पर...." शब्द कहीं बीच में ही अटक जाते थे, टकरा कर कहीं गले में ही रुक जाते थे या फिर जिन बहते हुए आंसुओ को वो पी रही थी उनके साथ बहकर वापस अपने उद्गम पे पहुँच जाते थे।
ये उसका सवाल था शायद अपने प्रेमी से जो अभी तक यह समझ ही नहीं पा रहा था कि उससे क्या गलती हो गयी जो उसने उस लड़की को रुला, दिया जिसे वो सपनो में भी शायद रोता हुआ न देख सके।
"क्या हुआ परी??", रुंधी हुई आवाज में उसने पूछा। घबराहट साफ़ झलकती थी उसकी बातों में, एक अनजाने डर की घबराहट, जिसके होने का उसे इल्म भी न था।
"क्या हुआ??.....", उसके आंसू थम चुके थे और पेशानी पे सिलबटें पड़ी हुई थीं। गुस्सा साफ़ झलकता था उसकी सुर्ख ओ नम आँखों में, "बड़े बेशर्म हो तुम, अभी भी इतनी बेशर्मी से नेरे सामने खड़े हो जैसे कुछ गलत न किया हो। तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मुझे किस करने की।"
वो अभी भी भौचक्का सा ही खडा था, एकदम जड़ होकर। उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है।
परी से उसकी मुलाकात को 6 महीने से अधिक हो चुका है और इतने महीनों में ये पहली बार है जब उसने परी को किस किया हो। परी और वो एक दुसरे से प्यार करते थे और इजहार सिर्फ एकतरफा नहीं था कभी भी, परी ने भी तो इजहार किया था उससे। तो फिर उसने ऐसा क्या कर दिया जिससे वो नाराज हो गयी।
"मेरी गलती तो बताओ परी?? आखिर मैंने ऐसा क्या कर दिया जो तुम अचानक से इतना गुस्सा हो गयीं मुझपर? मैंने तो बस तुम्हे......."
इससे पहले की वो कुछ और बोल पाता, उसके कान पर एक चांटा आकर लगा। कुछ पल के लिए तो जैसे वक़्त ही नहीं रहा, सब कुछ गायब सा हो गया उसकी निगाहों के सामने से।
कुछ संभल कर फिर उसने थोड़ी सी हिम्मत दिखाई और उसने थोडा स्वाभिमान के साथ कहा, "तुम्हे जो करना है कर लेना पर पहले मुझे ये तो बताओ की मैंने ऐसा क्या गलत कर दिया?"
कमरे ने ही जैसे अचानक से मौन धारण कर लिया हो। सब कुछ शांत और स्थिर जैसे जिंदगी ने दामन ही छुड़ा लिया हो उस जगह से।
"मैं अब तक इसी गुमां में जीती रही की तुम मुझसे सच्चा प्यार करते हो, पर तुम तो बिलकुल और लडको की तरह ही निकले, बस तुम्हे भी इसी शरीर की चाह थी तुमको, जिसे इतने दिनों से तुमने अपने झूठे रूमानी प्यार के नकाब के पीछे छुपा रखा था", परी की आवाज सारे आयामों को चीरते हुए जैसे उसके कानो तक पहुंची हो। वो अभी तक किन्ही और ख्यालों में ही ग़ुम था। परी के आक्षेप ने जैसे उसे अन्दर तक झकझोर दिया हो।
"पर मेरा प्यार तो अभी भी उसी पटल पर है जिस पर से शुरुआत हुई थी। हाँ हमने एक दुसरे को थोडा बहुत जाना है पर इतना भी नहीं जाना की मैं ये कह सकूँ की हाँ मुझे तुमसे इतना प्यार हो गया है कि शायद ही तुम्हारे बिना मैं जी सकूँ।" वो समझ चूका था इन साड़ी घटनाओ के पीछे के कारण को।
'उफ़, ये क्या गलती कर बैठा मैं? मुझसे इतनी बड़ी गलती कैसे हो सकती है??' वो जैसे अब खुद पर ही नाराज था
To be contd......
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